Tuesday, October 20, 2009

राम चरित मानस में शबरी और राम .

मुनि मतंग ने शबरीसे कहा था - ''राम की  प्रतीक्षा करना ,तुम्हे मिलेंगे । राम के आने पर सबरी मगन हो गई ,उसने राम के पैर धोये , आदर किया आसन दिया ,  फल खिलाये फ़िर उनकी प्रार्थना की तथा कृतज्ञता प्रकट की ।
श्री राम ने कहा - '' हे भामिनि ! मरी बात सुनो । मै तो केवल एक भक्ति का ही सम्बन्ध मानता हूँ । मै किसी मनुष्य के जाति , सामाजिक स्तर , कुल , धर्म , महानता (पद ) , संपन्नता (धन) , शारीरिक ताकत और बल , जन-बल /लोकप्रियता , गुण और बुद्धिमत्ता को कभी भी महत्व नही देता .(इन दस  बातों को तुलसीदास ने केवल एक लाइन में कहा है - ''जाति पांति कुल धरम बडाई । धन बल परिजन गुण चतुराई ''  तुलसीदास ने भी इन दश बातों को अपने ग्रन्थ में कोई महत्व नही दिया )
राम ने सबरी से कहा मैं केवल भक्ति को महत्व देता हूँ जो नौ प्रकार की है और इनमे से एक, प्रकार की भक्ति भी ऊपर कही गई दश बातों से बड़ी और महत्व की है  हे भामिनि !, सौन्दर्य की स्वामिनी ! तुम्हारे पास ऐ सभी नौ गुण हैं , जिन्हें मैं तुमसे कहता हूँ (* इन नौ गुणों का वर्णन  ग्यारह लाइनों में किया है । )
१ - सत्संग ,  सज्जनों का । २ - राम कथा  । ३ - गुरु का  आदर ४ - राम के गुणों का  स्मरण /पालन  । ५ -  नाम - जप
६ - इन्द्रिय संयम , शील ,वैराग्य , संत पुरुषों की तरह ही आचरण ।
७ - सारे जगत के प्राणियों, बस्तुओं में ईश्वर को देखने का अभ्यास ।
८ - यथा -लाभ संतोष ,  किसी के दोष न देखना ।
९ - सरलता और सबके साथ कपट रहित वर्ताव ; मुझमे पूरा  भरोसा रखना ।
हे भामिनि !आप में तो सभी नौ प्रकार की भक्ति पूरी तरह से स्थिर हो चुकी है , जो कुछ योगी भी नही प्राप्त कर सके हैं , अतः आप मुझे  बहुत ही प्रिय हो ।
इस प्रकरण का उल्लेख रामचरित मानस में नारी , जाति ,धर्म आदि आदि के प्रति दृष्टिकोण हेतु किया है ।
कृपया बिस्तार के लिए रामचरित मानस पढ़ें ।

1 comment:

Bhoopendra pandey said...

aap lekh pad padkar ramcharitmanas ka accha gyan ho jayega. dhanyabad