Thursday, October 2, 2014

OF A CRITIC

एक प्रशासक, एक कवि, एक चित्रकार, और एक आलोचक – ये चारों एक ऊँट के साथ रेगिस्तान से गुज़र रहे थे.
एक रात यूंही वक़्त बिताने को  उन्होंने सोचा कि वे  अपने ऊँट का वर्णन करें.
प्रशासक टेंट में गया और दस मिनट में उसने ऊँट के महत्व को दर्शानेवाला एक वस्तुनिष्ठ निबंध लिख लाया .
कवि ने भी लगभग दस मिनट में ही छंदों में लिख दिया कि ऊँट किस प्रकार एक उत्कृष्ट प्राणी है.
चित्रकार ने  तूलिका उठाई और कुछ सधे हुए स्ट्रोक्स लगाकर ऊँट की बेहतरीन छवि की रचना कर दी.
अब आलोचक की बारी थी. वह कागज़-कलम लेकर टेंट में चला गया.
उसे भीतर गए दो घंटे बीत गए. बाहर बैठे तीनों लोग बेहद उकता चुके थे.
वह बाहर आया और बोला, “मैंने ज्यादा देर नहीं लगाई… अंततः मैंने इस जानवर के कुछ नुस्ख खोज ही लिए.”
“इसकी चाल बड़ी बेढब है. यह ज़रा भी आरामदेह नहीं है. बदसूरत भी है”
साथ ही उसने दोस्तों को कागज़ का एक पुलिंदा थमा दिया. उसपर लिखा था ‘आदर्श ऊँट – जैसा ईश्वर को रचना चाहिए था’'
(पाउलो कोएलो )

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