इस सृष्टि में कुछ भी अपूर्ण अथवा अधूरा नही है . कोई बस्तु , ब्यक्ति , विचार , जड़ , चेतन अपने में पूरा ही पूरा है । ऐसा कुछ भी नही है जो अनुपयोगी , गैर -जरुरी हो , सृष्टि के स्तर पर । कोई एक पहलू से पूरा है ,कोई दूसरे पहलू से , कोई गुण में आगे है , कोई दुर्गुण में । दोनों गुण और दुर्गुण एक दूसरे के अस्तित्व के लिए अनिवार्य हैं । कोई कई पहलू से पूर्ण है , कोई कम पहलू से और कोई एक पहलू से ही परन्तु एक दूसरे का स्थान कभी नही ले सकता है । कोई कुशल है ,कोई निपुण , तो कोई बहुमुखी प्रतिभा वाला , कोई मर्यादित और कोई स्वतंत्र , स्वछंद । ऐसा इस लिए है कि ऐ सभी महापूर्ण के अंश हैं । अतः हम सब को यह भाव नही रखना चाहिए कि कोई भी अपूर्ण है ।
ईशावास्य उपनिषद का एक श्लोक है -
'' ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदम पूर्णात पूर्णमुदच्यते । पूर्णस्य पूर्णमादाय पर्णमेवावशिष्यते ॥
वह ( परमात्मा / परमपूर्ण ) पूरा है ; यह ( श्रृष्टि ) भी पूरा है ; परम पूर्ण से एक पूर्ण निकल गया ; परम पूर्ण के भीतर ही एक पूर्ण बन गया सो परम पूर्ण में से एक पूर्ण निकालने पर भी परम पूर्ण ज्यों का त्यों रहा .
समझने के लिए एक उदहारण -
विश्व के नक्शे में से भारत , अमेरिका , रूस , चीन आदि आदि देश निकल गए और अपने में पूर्ण देश हैं परन्तु विश्व के नक्शे / स्वरुप / क्षेत्रफल / जनसँख्या / जल - स्थल में कोई फरक नही पड़ा । अथवा पृथ्वी को हमने जल -थल , भौगोलिक द्वीपों , देशों में बांटा परन्तु पृथ्वी पर क्या असर हुआ कुछ नही । सो ऐसे ही सब को समझाना होगा । इसे ही एकात्मकता का सिद्धांत , थियरी आफ वननेस कहा है । यहाँ कोई अपूर्ण नही है ।
ईशावास्य उपनिषद का एक श्लोक है -
'' ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदम पूर्णात पूर्णमुदच्यते । पूर्णस्य पूर्णमादाय पर्णमेवावशिष्यते ॥
वह ( परमात्मा / परमपूर्ण ) पूरा है ; यह ( श्रृष्टि ) भी पूरा है ; परम पूर्ण से एक पूर्ण निकल गया ; परम पूर्ण के भीतर ही एक पूर्ण बन गया सो परम पूर्ण में से एक पूर्ण निकालने पर भी परम पूर्ण ज्यों का त्यों रहा .
समझने के लिए एक उदहारण -
विश्व के नक्शे में से भारत , अमेरिका , रूस , चीन आदि आदि देश निकल गए और अपने में पूर्ण देश हैं परन्तु विश्व के नक्शे / स्वरुप / क्षेत्रफल / जनसँख्या / जल - स्थल में कोई फरक नही पड़ा । अथवा पृथ्वी को हमने जल -थल , भौगोलिक द्वीपों , देशों में बांटा परन्तु पृथ्वी पर क्या असर हुआ कुछ नही । सो ऐसे ही सब को समझाना होगा । इसे ही एकात्मकता का सिद्धांत , थियरी आफ वननेस कहा है । यहाँ कोई अपूर्ण नही है ।