Saturday, December 24, 2011

विचार स्वतंत्र और सारभौम होते हैं ,इनके या उनके नहीं होते ...जैसे जीसस का प्रेम , बुद्ध की करूणा , गाँधी और महावीर की अहिंसा , ऐसा कहना सही नहीं है , बल्कि प्रेम का विचार , करूणा और अहिंसा का विचार -- जीसस ने प्रेम को चुना और गाँधी महावीर ने अहिंसा को ; इन सद्गुणों को सीखा , पहचाना , अपने जीवन में लागू किया और दूसरों को संस्तुत किया और लोगों ने माना . आदि काल से श्रेष्ठ महापुरुषों ने इनको खोजा , सोचा और समझ कर जीवन की विधा के रूप में स्वीकार किया , जैसे न्यूटन ने गुरुत्व का नियम खोजा और लोगों को बताया ....अच्छे विचार और बुरे विचार मनुष्य के स्तर पर होते हैं , अस्तित्व के स्तर पर सभी विचार , विचार हैं एक दूसरे के पूरक ...हम विचारों का चुनाव कर वैसी ही जिन्दगी जीने को स्वीकार करते हैं और उसके नियत फल भोगते हैं ; रावण ने एक विचार चुना , राम ने दूसरा  , दोनों एक दूसरे के पूरक हैं विरोधी नहीं , पर हमारे स्तर पर विरोधी लगते हैं , वस्तुतः हैं नहीं ...विचार किसी ब्यक्ति के नहीं होते , विचार सत्य /अस्तित्व /परमात्मा /परम -तत्व के ही अंश और पक्ष हैं ..आप भी जिन विचारों को चाहो , चुन लो -फल भोगना पड़ेगा . तुलसी दास कहते हैं - '' भाल , अनभल जानत सब कोई  : जो जेहिं भाव निक तेहि सोई .'' और --- '' भलो भलाई पे लहै , लहै निचाइह नीच : अमर सराहिय अमरता , गरल सराहिय मीच ''

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