योग के चार मार्गों में एक ज्ञान अथवा समत्व योग है .(इसके लिए पढ़ें -गीता अध्याय दो .
जब तक आपको विचार , ब्यक्ति और वस्तुओं में - विरोध , भेद और भिन्नता दिखे तबतक आपकी बुद्धि स्थिर /सामान /शुद्ध नहीं है ; यह आपके बौद्धिक स्तर की बहुत बड़ी और सरलतम पहचान है ; जिसे लगे ---- काला और सफ़ेद रंग एक दुसरे से मैच नहीं करते , विरोधी हैं , तो अभी आप कच्चे हैं , जो जान ले कि काले के बिना सफ़ेद का कोई अस्तित्व नहीं और सफ़ेद का महत्व काले से है , वही दोनों में एक रंग देखता है ....सो गीता में कृष्ण ने कहा -'' ज्ञानी विद्वान् , गाय , हाथी , चांडाल और सूकर /सूअर में एक तत्व देखता है , सुख -दुःख , जीवन -मृत्यु .लाभ - हानि ; जीत - हार को एक में मिलाकर सामंजस्य स्थापित कर लेता है . यही जीवन है , यही अस्तित्व है .....सो जब आपको विरोध , भिन्नता , अबूझ कुछ भी लगे तो समझना वह वहाँ उस विचार , व्यक्ति और वास्तु में नहीं बल्कि आपके बुद्धि ,समझ में है ....न्यूटन को किसी ने चिढाने को कहा - '' न्यूटन ! तुम्हारे कोट में एक छेद है , पट , न्यूटन ने जबाब दिया - '' मिस्टर ! छेद मेरे कोट में नहीं तुम्हारे दिमाक में है '' ...सीखने की सीमा '' समत्व ''तक है ....सीखते रहो . '' स्थिति - प्रज्ञ '' बनो .....इसके लिए गीता का दूसरा अद्ध्याय पढो - ज्ञान -योग / समत्व -योग ,,,,,
जब तक आपको विचार , ब्यक्ति और वस्तुओं में - विरोध , भेद और भिन्नता दिखे तबतक आपकी बुद्धि स्थिर /सामान /शुद्ध नहीं है ; यह आपके बौद्धिक स्तर की बहुत बड़ी और सरलतम पहचान है ; जिसे लगे ---- काला और सफ़ेद रंग एक दुसरे से मैच नहीं करते , विरोधी हैं , तो अभी आप कच्चे हैं , जो जान ले कि काले के बिना सफ़ेद का कोई अस्तित्व नहीं और सफ़ेद का महत्व काले से है , वही दोनों में एक रंग देखता है ....सो गीता में कृष्ण ने कहा -'' ज्ञानी विद्वान् , गाय , हाथी , चांडाल और सूकर /सूअर में एक तत्व देखता है , सुख -दुःख , जीवन -मृत्यु .लाभ - हानि ; जीत - हार को एक में मिलाकर सामंजस्य स्थापित कर लेता है . यही जीवन है , यही अस्तित्व है .....सो जब आपको विरोध , भिन्नता , अबूझ कुछ भी लगे तो समझना वह वहाँ उस विचार , व्यक्ति और वास्तु में नहीं बल्कि आपके बुद्धि ,समझ में है ....न्यूटन को किसी ने चिढाने को कहा - '' न्यूटन ! तुम्हारे कोट में एक छेद है , पट , न्यूटन ने जबाब दिया - '' मिस्टर ! छेद मेरे कोट में नहीं तुम्हारे दिमाक में है '' ...सीखने की सीमा '' समत्व ''तक है ....सीखते रहो . '' स्थिति - प्रज्ञ '' बनो .....इसके लिए गीता का दूसरा अद्ध्याय पढो - ज्ञान -योग / समत्व -योग ,,,,,
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