Friday, July 25, 2014

मरने के लिए अकेला आया हूं. ..


चम्पारन बिहार में  गांधीजी ने सत्याग्रह की शानदार लड़ाई लड़ी थी | अंग्रेज  वहां के लोगों को  सताते थे. जबदस्ती नील की खेती कराते , वे निलहे कहलाते थे. उन्हीं की जांच करने को गांधीजी वहां गये थे. उनके इस काम से जनता जाग उठी. उसका साहस बढ़ गया, लेकिन गोरे बड़े परेशान हुए वे अब तक मनमानी करते आ रहे थे. कोई उनकी ओर उंगली उठाने वाला तक न था. अब गांधी जी  ने तूफान खड़ा कर दिया. वे आग-बबूला हो उठे. एक व्यक्ति ने आकर गांधीजी से कहा,`यहां का गोरा बहुत दुष्ट है.
वह आपको मार डालना चाहता है. उसके बाद उसी  दिन, रात के समय अचानक वह उस गोरे की कोठी पर जा पहुंचे. गोरे ने उन्हें देखा तो घबरा गया. उसने पूछा,`तुम कौन हो? गांधीजी ने उत्तर दिया, मैं गांधी हूं. वह गोरा और भी हैरान हो गया. बोला, `गांधी ??  `हां मैं गांधी ही हूं., `सुना है तुम मुझे मार डालना चाहते हो.  वह कुछ सोच सके, इससे पहले ही गांधीजी फिर बोले, `मैंने किसी से कुछ नहीं कहा. अकेला ही आया हूं. बेचारा गोरा सन्न रह गया जैसे सपना देख रहा हो.  उसने डर को जीतने वाले ऐसे व्यक्ति कहां देखे थे! उसने गांधी जी से माफ़ी मांगी और किसानों को न सताने की कसम खाई |

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