हकीकत .............................
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चलो ए फ़र्ज़ करते है ,
कि तुम मशरिक़ ; मैं मगरिब
चलो ए मान लेते हैं ।
बहुत लंबा सफ़र है ए
मगर ए भी हकीकत है
तुम्हारी जात का सूरज ;
मेरी हस्ती में डूबेगा ।
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मशरिक़ ; मगरिब = पूरब ;पश्चिम /उदयाचल ; अस्ताचल // जात ,हस्ती = अस्तित्व /जीवन.....
REALITY - Suppose , u r east n I am west , agreed ; it's a long long journey no doubt , bt it's also a reality that yr Sun(rose in east) sets in my existence (west).
{ quoted by Riya}
___________________________
अगर 'चे दो किनारों का कहीं संगम नहीं होता ,
मगर एक साथ चलना भी तो कोई कम नहीं होता ,
बदन से रूह जाती है तो बिछती है सफ्फ -ए-मातम ,
मगर किरदार मर जाए तो क्यूँ मातम नहीं होता ?
हज़ारों ज़ुल्मतों में भी , जवान रहती है , लौ उसकी ,
चराग़े -इश्क जलता है , तो फिर मद्धम नहीं होता ,
वो आँखें एक लुटा घर हैं , जहाँ आंसू नहीं रहते ,
वो दिल पत्थर है , जिस दिल में किसी का ग़म नहीं होता ...!!
- जावेद अख्तर
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चलो ए फ़र्ज़ करते है ,
कि तुम मशरिक़ ; मैं मगरिब
चलो ए मान लेते हैं ।
बहुत लंबा सफ़र है ए
मगर ए भी हकीकत है
तुम्हारी जात का सूरज ;
मेरी हस्ती में डूबेगा ।
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मशरिक़ ; मगरिब = पूरब ;पश्चिम /उदयाचल ; अस्ताचल // जात ,हस्ती = अस्तित्व /जीवन.....
REALITY - Suppose , u r east n I am west , agreed ; it's a long long journey no doubt , bt it's also a reality that yr Sun(rose in east) sets in my existence (west).
{ quoted by Riya}
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अगर 'चे दो किनारों का कहीं संगम नहीं होता ,
मगर एक साथ चलना भी तो कोई कम नहीं होता ,
बदन से रूह जाती है तो बिछती है सफ्फ -ए-मातम ,
मगर किरदार मर जाए तो क्यूँ मातम नहीं होता ?
हज़ारों ज़ुल्मतों में भी , जवान रहती है , लौ उसकी ,
चराग़े -इश्क जलता है , तो फिर मद्धम नहीं होता ,
वो आँखें एक लुटा घर हैं , जहाँ आंसू नहीं रहते ,
वो दिल पत्थर है , जिस दिल में किसी का ग़म नहीं होता ...!!
- जावेद अख्तर
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