मै श्री रघुनाथ जी के नाम '' राम '' की वन्दना करता हूँ जिसका जप शंकर जी महामंत्र के रूप में करते हैं और वरदेने की क्षमता प्राप्त कर लिए हैं । गणेश जी तो राम नाम के बल पर गण नायक हो गए । आदिकवि वाल्मीकि ने तो राम के उल्टे नाम '' मरा , मरा '' जप कर सिद्ध और शुद्ध होकर महाकवि हो गए । तुलसी कहते है - '' र '' सभी अक्षरों पर एक क्षत्र जैसा और '' म '' मुकुट जैसा विराजमान होता है ।
प्रस्तुत में नाम और नामी तो एक जैसे लगते हैं लेकिन नाम स्वामी और नामी उसका अनुगामी है अर्थात राम अपने नाम के पीछे पीछे चलते हैं । राम का नाम लेने से वहां राम को आना पड़ता है । नाम और रूप दो उपाधियाँ हैं जो यद्यपि अनादी और अकथ हैं परन्तु समझदार के लिए सुंदर और समझाने योग्य है । कौन बड़ा कौन छोटा है , यह कहना कठिन है परन्तु साधु पुरूष भेद कर लेते हैं । देखिये ! बिना नाम जाने रूप का ज्ञान नही हो सकता लेकिन नाम लेते ही , किसी का स्मरण करते ही रूप आ जाता है । नाम रूप की कहानी अकथ है , इसे समझना ही ठीक है , वर्णन करना कठिन है । नाम सगुण और निर्गुण के बीच सुंदर साक्षी है , यह नाम दोनों , सगुण और निर्गुण के बीच में दुभाषिये का काम करता है ।
यदि आप अपने जीवन के भीतर और बाहर दोनों ऑर प्रकाश चाहते हैं तो अपनी जीभ रूपी दरवाजे पर राम नाम का दीपक - मणि रख लीजिये । इस संसार के प्रपंच से विरत होने के लिए नाम का जप कर जाग जाइये और अकथ , अनामय , अनुपम सुख का आनंद लीजिये । जिज्ञासु लोग नाम जप कर सत्य का रहस्य जन लेते हैं और जप - साधक बिभिन्न प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त कर लेते हैं ।
आर्त (संकट से घबड़ाये हुए ) ; स्वार्थ की सिद्धि के लिए ; जिज्ञासु और ज्ञानी सभी चार प्रकार के लोग नाम जप द्वारा राम की भक्ति करके विपत्ति से मुक्ति , धनादि सुख , ज्ञान और तत्व - भेद पा लेते हैं । ब्रह्म के दो स्वरुप हैं - निर्गुण और सगुण और दोनों रूप अकथ अनादि और अनूप हैं ; मेरे मत से तो राम का नाम दोनों से ऊपर ही है ।
सज्जन गण इस बात को मेरी धृष्टता , कव्योख्ति ही न समझें ; मैं अपने अनुभव , विश्वाश और प्रेम - रूचि की बात कहता हूँ , दोनों रूप जो अगम हैं , नाम लेने से सुगम हो जाते हैं । मेरा तो यह सुविचारित मत है कि निर्गुण - सगुण से ही नही वल्कि राम का नाम राम से भी ज्यादा प्रभावशाली है । राम ने तो मनुष्य बन कर साधुओं की रक्षा की , रावण को मारा परन्तु नाम तो लेते ही सारे पाप नष्ट हो जाते हैं । राम ने कुछ गिने लोगों को बचाया और तारा परन्तु उनके नाम ने अनगिनत लोगों को सद्मार्ग पर चलाया । राम ने विभीषण और सुग्रीव को शरण दिया नाम तो करोड़ो भक्तों को शरण देता है । भाव से कुभाव से , क्रोध से या आलस्य से , प्रेम से याकि वैर से नाम का जप कराने वाले को , स्मरण करते ही , दशों दिशाओं में मंगल ही मंगल हो उठता है । राम का नाम कल्प तरु है जो मांगो सो दे , राम के नाम -प्रभाव से भाँग जैसा तुलसी , तुलसीदास हो गया । नारद , ध्रुव , अजामिल , गज और गणिका सब मुक्त हो गए । नाम का प्रभाव -यश गाथा का कितना वर्णन करूँ , स्याद राम भी न कर सकें
प्रकरण गोस्वामी तुलसीदास के राम चरित मानस के बाल पर par आधारित ।
No comments:
Post a Comment