भाव से विचार बदल जाते हैं ; विचार से दृष्टि (नजरिया ) बदल जाती है ; दृष्टि से ब्यवहार बदल जाता है ;ब्यवहार से क्रिया/ कार्य बदल जाता है ; कार्य से परिणाम बदल जाते हैं ; परिणाम से ब्यख्तित्व बदल जाता है ; ब्यख्तित्व से जीवन बदल जाता है ; जीवन बदलने से सारी दुनिया ही बदल जाती है. सुख -दुःख ,मित्र - अमित्र और संपत्ति -विपत्ति के अर्थ बदल जाते हैं . हम सम- भाव हो जाते है .* प्रार्थना से भाव बदलते हैं .
हिंसा का भव जब अहिंसा में बदलता है तो अमित्र ,मित्र होने लगते हैं और वैर -त्याग घटता है . चोरी न करने के भाव दृढ होने से दरिद्रता जाने लगाती है ;मोह का भाव त्यागने से मंगल होता है .इर्ष्या का भाव चले जाने से सम्पन्नता आती है ; विनम्रता से आदर मिलता है ;नमस्कार करने से , आयु ,विद्या , यश और बल में वृद्धि होती है . संतोष से प्रभुता (राज्य ) और प्रार्थना से सदविचार आते हैं ,अतः प्रार्थना तो सदमार्ग का मूल ही है .
योग चित्तकी वृत्तियों का निरोध है ॥२॥
वृत्तियाँ पाँच प्रकार की - क्लेशक्त और क्लेशरहित ॥५॥प्रमाण विकल्प विपर्यय निद्रा तथा स्मृति ॥६॥
या सब ईश्वर पर छोड़ देने से ॥२३॥(ईश्वर प्रणिधान)
अविद्या अस्मिता राग द्वेष तथा अभिनिवेष यह पाँच क्लेश कर्म, शुभ तथा अशुभ,फल, संस्कार आशय से परामर्श में न आने वाला, ऐसा परम पुरुष, ईश्वर है ॥२४॥
उस (ईश्वर में) अतिशय की धारणा से रहित सर्वज्ञता का बीज है ॥२५॥
वह पूर्वजों का भी गुरु है, काल से पार होने के कारण ॥२६॥
उसका बोध कराने वाला प्रणव है (ॐ)॥२७॥
उस (प्रणव) का जप, उसके अर्थ की भावना सहित (करें) ॥२८॥
उससे प्रत्यक्ष चेतना की अनुभवी रूपी प्राप्ती होगी और अन्तरायों का अभाव होगा ॥२९॥
शारीरिक रोग, चित्त की अकर्मण्यता, संशय, लापरवाही, शरीर की जड़ता, विषयों की इच्छा, कुछ का कुछ समझना, साधन करते रहने पर भी उन्नति न होना, ऊपर की भुमिका पाकर उससे फिर नीचे गिरना, वित्त में विक्षेप करने वाले नौ विध्न हैं ॥३०॥
दुख, इच्छा पूर्ति न होने पर मन में क्षोभ,कम्पन,श्वास प्रवास विक्षेपों के साथ घटित होने वाले ॥३१॥
उनके प्रतिषेध के लिए एक तत्त्व का अभ्यास करना चाहिए ॥३२॥
सुखी, दुखी पण्यात्मा तथा पापात्मा व्यक्तियों के बारे में, यथा क्रम मैत्री, करुणा, हर्ष तथा उदासीनता, की भावना रखने से चित्त निर्मल एवं प्रसन्न होता है ॥३३॥
- ऊपर सभी सूत्र (२) से (33) तक पतंजल योग -सूत्र (संस्कृत ) मूल का हिंदी अनुवाद हैं
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