Monday, January 30, 2012

सुना है जंगलों का भी कोई दस्तूर होता है ...

 सुना है जंगलों का भी कोई दस्तूर होता है 
सुना है शेर का जब पेट भर जाए  , तो वो हमला नहीं करता
सुना है हवा के तेज झोंके जब , दरख्तों को हिलाते हैं
तो मैना अपने घर को भूल कर कौवे के अण्डों को अपने परों में थाम लेती है
सुना है , घोसले से जब कोई बच्चा गिरे , तो सारा जंगल जाग जाता है 

सुना है कोई पुल टूट जाए और सैलाब आ जाए , तो किसी लकड़ी के तख्ते पर 
गिलहरी , सांप और बकरी साथ होते हैं

सुना है जंगलों का भी कोई दस्तूर होता है 
खुदा वंदा ज़लीलो मुआत्बर   दाना-ओ -बिना मुन्शिफो -अकबर
हमारे देश में भी अब  , जंगलों का ही कोई दस्तूर नाफ़िज़ कर


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