श्री राम तो मर्यादा पुरुषोत्तम थे पर रावण का भी एक चरित्र था .....वह बलात्कारी नहीं था , वह युद्ध से जीत कर , धोके और चोरी से उन औरतों को प्राप्त कर लेता था , जो उसे पसंद आती थीं (अति कामी था ) , पर किसी भी औरत से बिना उसकी स्वीकृति शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाता न जबरदस्ती रेप करता था (आज हमारे समाज में रावण से भी गये गुजरे लोग हैं , कारण न्याय की कमी और नैतिक पतन )'
एक और कथा आती है - एक बार जब रावण ने अपने भाई कुम्भकरण से कहा कि सीता उसे पति -रूप में स्वीकार नहीं कर रही है तो कुम्भकरण ने सलाह दी - '' तुम तो मायावी हो , क्यों नहीं राम का रूप बना कर सीता के सामने जाते '' . रावण ने कहा, ''ऐसी कोशिश मैंने की , पर जब मैं राम का रूप धारण करता हूँ तो मेरी काम-वासना ही नष्ट हो जाती है '' ऐसा है श्री राम का चरित्र .
* कथाएं सत्य नहीं होती पर वे जीवन-सत्य का निरूपण करती है ; इतिहास सत्य होता है पर उसमे जीवन -सत्य नहीं , ...जीवन की भूलें होती हैं -- हम दोनों से , दो तरह से सीखते हैं (आगमन और निगमन )
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