क्या आप उदार चरित हैं ? नहीं तो कोशिस करें /
फेस बुक के एक मित्र कोई 'पाठक' ही जौनपुर (मेरा होम टाउन ) के जिन्हें देश में और कुछ लोगों की तरह ,हिन्दू ,राष्ट्र भक्त भारतीय धर्म और संस्कृति के रक्षक /समर्थक होने का कभी भी न मिटने वाला पागलपन और भ्रम है ,मेरे अपडेट्स पर भद्दे , मूर्खतापूर्ण ,साम्प्रदायिक कमेन्ट करते रहे , ख़ास कर मुसलमानों के प्रति /उनके धर्म /ग्रन्थ के प्रति . जब हद हुई तो मुझे मजबूरी में उन्हें निकालना और ब्लाक करना पड़ा , तब उनका असली रूप दिखा और वे मुझे खोजते हुए मेरे ब्लॉग पर आये और खूब गालियाँ लिखीं - प्रिय पाठक जी के माध्यम से मैं ऐसे विचारों वाले देश भक्तों से निवेदन करूँ कि वे भारतीय - आत्मा को इस श्लोक से जाने समझे और थोड़ा सा उदार बने -----''
अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम् / उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् //''Thought like "it is mine or that is another's" occur only to d narrow minded . To d broad-minded persons d whole world is a family.
पुनश्च ---- '' मैं अपनी दिसि कीन्ह निहोरा / ते निज ओर न लाउब भोरा // बायस पलिहैं अति अनुरागा / होहिं निरामिष कबहुं कि कागा //'' ( तुलसी मानस में ).......अन्य धर्मों में भी लोग इसी तरह के हैं , इनसे बच के रहें ,,,हर सोच /कार्य /ब्यवहार में ध्यान दें - क्या आप उदार हैं ? नहीं तो अपने को थोड़ा बदलने की कोशिस करें ....भारतीय होने का यही पहला लक्षण है .
ps -In d same way I had to unfriend & block one muslim friend also on f-book .
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