Wednesday, February 8, 2012

“Rtam, Satyam, Vijnani”

“Rtam, Satyam, Dharmmam”- Cosmic Laws = (Rta) are eternal truths (Satyam) and following these Laws of Nature is Vedic Dharma
 Rtam, Satyam, Vijnani” Rig Veda 1-75-5- knowing and finding out these Laws of Nature (Rta) is ''Knowledge ''.
तुमने बहुत बड़ी बात कही शायद ए तुम्हे  पता भी न हो कि तुमने कितना बड़ा सवाल उठाया ? मैं जैसा चाहता हूँ शब्दों को वैसा मोड़ कर अर्थ दे देता हूँ , पर ऐसा नहीं है , ऋग वेद में एक शब्द आया है ''ऋत ''यह न ईश्वर है , न देवता , यह एक नियामक शक्ति है '' रूल्स ऑव ला ''  उसी से सारी श्रृष्टि अपने आप चलती है , जो इस नियम से दूर /प्रतिकूल जाता है वह नियमों के तहत उसका दंड भोगता है और जो नियमों के पास से /अनुकूल चलता है उसे उसके लाभ मिलते है , बस ! तो प्रभु -कृपा से , हो सकता है मैं उसके थोड़ा अनुकूल होऊं , तो जो भी , सोचता , बोलता , लिखता , करता हूँ वह सबको  अनुकूल /पसंद /ग्राह्य /उपयुक्त लगने लगता है , तुम देखो भला मेरे में क्या काबलियत थी ? कुछ  नहीं  न ?पर कैसे स्कूल चलता था , साफ़ दिल से , प्रेम से , इमानदारी से , सद्भाव से , यही ऋत के अनुकूल है , सो जो लिखता हूँ तुम्हे और लोगों को पसंद आता है , यह मेरा गुण नहीं  है जहाँ मैं हूँ उसका कमाल है , मुझे ख़ुशी है तुम बुद्धिमान हो रहे हो , उपर ऋग वेद का सूत्र लिखा हूँ , हिंदी में लिखा जिससे तुम ठीक से समझ सको , बहुत बहुत स्नेह , शुभ कामना , प्रार्थना .

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