लोग एक सामान्य सा सवाल उठाते रहते हैं । जीवन क्या है ? जीवन की कोई एक परिभाषा नहीं है , न तो जीवन का कोई सम्यक सिद्धांत है जो एक समान सब पर लागू किया जा सके । यह एक दृष्टि है , एक विचार है ,एक संभावना है जिसका निर्णय हम और हमारी मनोवृत्तियां ,मूल्प्रवृत्तियां , समय , परिस्थिति , भौगोलिक तथा जलवायु आदि आदि तत्व निर्धारित करते हैं । हर आदमी का जीवन के प्रति इन्हीं परिस्थितियों में एक दृष्टिकोण धीरे धीरे और कभी आकस्मिक रूप में निर्धारित होता है । जीवन की विबिधता का कोई आदि अंत नही , यह वैविध्य अनंत है । यह हमारे भीतर चुप चाप विकसित होता रहता है और किसी समय फूल की तरह खिल जाता है , फ़िर तो उसी प्रकार का जीवन हमको घेर लेता है , हम उसी पर चलते रहते हैं , कभी कोई घटना घटी तो बदल भी जाता है । अतः यह विवाद का विषय हो सकता है कि कौन और किस प्रकार का जीवन अच्छा अथवा बुरा है किसी एक की दृष्टि में , पर कैसा जीवन जीना चाहिए इसके लिए कोई अधिकारिक रूप से सिद्धांतों का सामान्यीकरण नहीं किया जा सकता । कुछ उदहारण देख कर आगे ख़ुद विचार करें ।
सामान्यतया अधिकतर सामान्य लोग भौतिक सम्पन्नता को ही उत्तम मानते है । अधिक से अधिक संपत्ति , वैभव , जमीन , राज्य विलासिता के साधन की पूर्ति में सारा जीवन होम कर देते हैं , कुछ तो इन सुबिधाओं का उपभोग करते है और कुछ जुटाते ही जुटाते यहाँ से कूच कर जाते है । तुलसीदास जी कहते है , -डासत ही गयि बीति निशा सब , कबहूँ न नाथ नीद भर सोयो । सबसे ज्यादा लोग तो इसी श्रेणी के हैं , परन्तु एक महाबीर , बुद्ध और शंकराचार्य भी हैं , जो स्वेच्छा से गरीब हो गए । एक बुद्ध है भिखारी , जो राजा से भिखारी हो गए हैं और दूसरे ऐसे लाखों भिखारी हैं , जो राजा बनने के लिए भीख मांग रहे है । शेख चिल्ली की कहानी तो यही है । सारनाथ में दो लोग भिक्षा को निकले हैं , एक जो राज्य छोड़कर भिक्षा मांग रहा है दूसरा जो भिक्षा से जुटा जुटाकर राज्य निर्मित कराने को तत्पर है । ऐ दोनों दो जीवन हैं ; दो दृष्टिकोण की वजह से ।
एक के लिए जीवन संघर्ष है , दूसरे के लिए वही चुनौती है , तीसरे के लिए सामान्य जीवन प्रयास है चौथे के लिए आनंद है । एक को संग्रह में आनंद है (बहुसंख्या में ) , दूसरे को त्याग में सुख है । एक को ज्ञान में रूचि है दूसरे को अज्ञान से मोह है । एक को दूसरे की भलाई करने की पड़ी है जैसे , -- मदर टेरेसा और दूसरे को हत्या करने में पुण्य दिखता है जैसे , - आतंकवादी । एक कला का पुजारी है , दूसरा निर्माण का तीसरा राजनीति और चौथा धर्म का । यह विविधता योजना बद्ध है , प्रकृति की तरफ़ से । सब अपने अपने जीवन दृष्टि और सृष्टि समन्वय के अनुसार ब्यस्त हैं अपना अपना जीवन जीने में । सृष्टि /प्रकृति की दृष्टि में सब सही हैं , सब अपने मिशन में लगे है । टेनिसन कहता है , - गाड इज इन द हेवेन , एंड इवरी थिंग राइट इन द वर्ल्ड ।
एक अंग्रेज कवि ही कहता है , -- मै अकेला परम अब्य्स्त आदमी हूँ जो न तो भोजन संग्रह में न संतानोत्पत्ति में , न गाने में लगा हूँ ; लेकिन मेरी समझ में यह नही आता है कि ऐ फूल किसलिए खिल रहे है और ऐ नदियाँ और झरने किसके लिए निर्वाध वह रहे है । जरुर कोई उद्देश्य इनका भी होगा , और फ़िर तो मेरा भी । कहने का तात्पर्य यह कि यहाँ सभी कुछ , पदार्थ ,जीव और वनस्पतियाँ सार्थक और सोद्देश्य हैं और जो भी कुछ घट रहा और हो रहा सब उचित और प्रायोजित है । संस्कृत में भी श्लोक है , --सभी अक्षर मन्त्र है ; सभी वनस्पतियाँ औषध हैं ; कोई पुरूष अयोग्य नही है , उसका प्रयोग करने वाला ही दुर्लभ है ।
इस प्रकार सभी लोग और सभी कार्य अपनी अपनी जगह पर सही हैं । अमिय सराहिय अमरता , गरल सराहिय मीचु , अर्थात अमृत की सराहना जीवन की सुरक्षा में है तो विष का महत्व मारने में । और पुनः , -- जो जेहि भाव नीक तेहि सोई । सवाल यह जरुर बनता है किसको जीवन का कौन मार्ग , सिद्धांत , तरीका पसंद है । इस पसंद के कारण- तत्व अनेक है । अब विज्ञानं भी कहने लगा है कि बहुत कुछ हमारे जीन में ही है , अतः कुछ हमें जन्म से हासिल है कुछ हम अर्जित करते हैं और कुछ समाज तथा परिस्थितियां निर्धारित करती है । फ़िर भी हमारा रोल महत्व का है , जो वाल्मीकि को कवि , लींकन को राष्ट्राध्यक्ष और बुद्ध को भिक्षु बनता है । इस बनने में वेद भी और विज्ञानं भी यही कहते है कि हमें अच्छा बनने कि प्रेरणा चाहिए , मोटिवेशन ।
मैं वर्तमान में , भूतपूर्व राष्ट्रपति कलाम साहब को भारत वर्ष का आदर्श और महान भारतीय मानता हूँ , क्योंकि वे भारत कि संस्कृति और सभ्यता तथा अध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का पूरी तरह से प्रतिनिधित्व करते हैं । सभी भारतीय लोगों को जिन्हें जीवन दृष्टि पानी है उनके जीवन दर्शन , जीवन दृष्टि , देश प्रेम , कर्तब्यपरायणता , धर्म , अध्यात्म और वैज्ञानिक दृष्टिकोण और फ़िर सब की समन्वयशीलता का अनुशीलन , अवगाहन और अनुपालन करना चाहिए । उनका कहना है कि जीवन दृष्टि हेतु प्रार्थना करनी चाहिए ,जिससे उचित मार्गदर्शन मिल सके । मेरी भी यही राय है । अच्छे के लिए प्रार्थना करो । साथ साथ अपनी भूमिका मन से निभाते रहो । प्रयास करते रहो , प्रार्थना के साथ ।
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