मनुष्य के जीवन में दो बाते महत्वपूर्ण है । प्रथम यह कि आपको जो नैसर्गिक क्षमताएं प्राप्त हैं उनका पूरा विकास करने की पूरी कोशिश करें , उसमे कोई भी कसर अपनी तरफ़ से न छोडें ,यदि पूरे मन से कम नहीं किया गया ,तो सफलता की संभावना कम ही है । किसी कार्य में असफल होने पर निराश होने की वजाय अपने प्रयत्नों का पुनरवलोकन करना चाहिए और यह मान कर चलना चाहिए की कहीं कोई चूक जरुर हुई है और फ़िर बार बार भी प्रयास करके उसको सुधारना चाहिए । कमी पूरी होते ही सफलता मिलना निश्चित है यदि बहुत देर या अपूर्णीय देर नहीं हुई है । सफलता का महत्व उतना नहीं है ,जितना प्रयास का । प्रयास सही हुआ तो सफलता में संदेह की गुंजाईश शून्य प्रतिशत है। धैर्य की महत्ता ही यहाँ कारगर होगी ,निराशा नहीं । प्रयास प्रयास और प्रयास .
दूसरा पक्ष जो आपके बश में नहीं है .इसके अन्दर आपकी सीमाएं ,कालऔर परिस्थितियां हैं जो आपके द्वारा नियंत्रित नहीं हो सकती । इनके लिए आपको तटस्थ और स्थिर बुद्धि वाला बनना होगा । जो हो रहा है उसे होते देखना कार्य करना और उसके साथ सामंजस्य स्थापित करना या उसके साथ होकर ही । यही दोनों पक्ष एक जिनमे ताल मेल बनाकर चलना होगा । अपना
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