Saturday, December 6, 2008

वर्तमान और सुख

आपका जीवन क्षणों में बिभक्त है .ऐ क्षण बहुत ही मूल्यवान हैं । इन क्षणों को आप कैसे बिताते है समझदारी से या भूतकाल की घटनाओं को स्मरण करके दुखी होते हैं अथवा यह सोचते है कि कल जब यह हो जाएगा जो आपका करने का या पाने का इरादा है उसको करके या पाकरके आप खुश होंगे । इसे ठीक से समझ ले । आज जो आप हैं , अथवा आपके पास जो है उससे आप खुश नहीं हैं परन्तु कल आप जब इससे बड़ा पद पा जायेगें तब बड़ी खुशी मिलेगी । कल को आप बड़ा पद या बड़ी संपत्ति पा सकते हैं परन्तु यह निशित नहीं है। ऐसा सदा ही सोचते रहने से आप का वर्तमान निकल जाता है और उस वर्तमान का जो भी अनुभव होता है उससे आप वंचित /महरूम हो जाते हैं । आप क्या हैं और क्या होंगे में आप का वेर्तमानखिसक जाता है । आप जो हैं उसका भी आनंद है कम से कम होने का ही परन्तु उसको आप मिस कर देते है । कल का आनंद काल्पनिक है ,जो आ भी सकता है और नहीं भी परन्तु आज का आनंद तो गया ही समझो । और कल वाला जब आएगा तब बहुत शीघ्र ही आप उससे संतुष्ट न होकर फ़िर दुसरे सुख की कामनामें चिंतित हो पडेगें ।
आने वाला सुख काल्पनिक है उसके बारे में सोचना बंद करते ही आप को वेर्तमान का सुख दिखाई देने लगेगा । कल का सुख मिथ्या है परन्तु वह आपका वेर्तमान क्षण बर्बाद कर देता है ,इसका कारन मात्र अज्ञान ही है । सो वेर्तमान में रहना सीखिए और सुखी हो जाइये .

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