Monday, January 30, 2012

सुना है जंगलों का भी कोई दस्तूर होता है ...

 सुना है जंगलों का भी कोई दस्तूर होता है 
सुना है शेर का जब पेट भर जाए  , तो वो हमला नहीं करता
सुना है हवा के तेज झोंके जब , दरख्तों को हिलाते हैं
तो मैना अपने घर को भूल कर कौवे के अण्डों को अपने परों में थाम लेती है
सुना है , घोसले से जब कोई बच्चा गिरे , तो सारा जंगल जाग जाता है 

सुना है कोई पुल टूट जाए और सैलाब आ जाए , तो किसी लकड़ी के तख्ते पर 
गिलहरी , सांप और बकरी साथ होते हैं

सुना है जंगलों का भी कोई दस्तूर होता है 
खुदा वंदा ज़लीलो मुआत्बर   दाना-ओ -बिना मुन्शिफो -अकबर
हमारे देश में भी अब  , जंगलों का ही कोई दस्तूर नाफ़िज़ कर


Sunday, January 29, 2012

YOU KNOW WHAT YOU ARE .

U KNOW WHAT U R ; I KNOW WHAT I AM ; WE MAY PRETEND & CONCEAL OURSELVES BUT GOD KNOWS EACH & EVERY ONE ...HIS DECISION IS DECISIVE & FINAL ( DON'T U FEAR GOD ? OR FEAR YR END ? )......
'' I tried to sneak myself through I tried to get to the other side
I had to patch up the cracks and the holes that I have to hide
For a little bit of time even made it work okay
Just long enough to really make it hurt
When they figured me out and it all just rotted away

You better take a good look 'cause I'm full of shit
With every bit of my heart I have tried to believe in it
You can dress it all up, you can try to pretend
But you can't change anything, you can't change anything IN THE एंड
तुम क्या हो , तुम्हे पता है , मैं क्या हूँ  , मुझे पता है ; हम अपने को छिपा कर समाज को दिखा सकते हैं पर ईश्वर को तो सबके बारे में पता है  , ईश्वर का निर्णय पक्का और पूरा सही है ....ईश्वर को नहीं डरते ?  अपने अंत को नहीं डरते ?
मैं बच कर अपने दूसरे रूप को  प्रदर्शित करता हूँ , मैं कोशिस करता हूँ कि अपने दोषों और कमियों को अपने मुखौटे से छिपा लूँ  , थोड़े समय के लिए  ऐसा हो सकता या हो जाता है , पर उघार / भेद खुलने  पर अनर्थ होता है , सो सावधानी से विचार करो और अपने को दृढ़ता से रोक कर , बहाने छोड़ कर  , सही रास्ते पर आ जाओ , क्योंकि  अंत आ जाने पर कोई परिवर्तन संभव नहीं है (अभी बदलो और अपने मूल /मानवीय रूप में आ जाओ )

Friday, January 27, 2012

निष्केवल प्रेम ........

उमा जोग जप दान तप नाना मख ब्रत नेम।
राम कृपा नहि करहिं तसि जसि निष्केवल प्रेम।।117(ख)।। >  राम चरित मानस में तुलसी
शंकर जी पारवती से कहते हैं ; उमा  ! '' शुद्ध प्रेम '' ( अनन्य ) से मनुष्य के उपर जैसी कृपा ईश्वर की होती है , वैसी कृपा किसी भी प्रकार के  योग ,जप , दान , तपस्या , विभिन्न प्रकार के यज्न /यग्य  , व्रत और नियम  करने से नहीं होती . '' रामहि केवल प्रेम पियारा : जानि लेहु जो जाननिहारा '' > वही = अगर आप समझदार हो तो समझ लो - राम को केवल '' प्रेम '' ही प्रिय है

Sunday, January 22, 2012

मैं मूर्ति-पूजक नहीं हूँ ; पर मूर्ति -पूजा से मेरा कोई विरोध नहीं है .

मैं मूर्ति -पूजा का विरोध , स्वामी दयानंद की तरह  नहीं करता .पर मेरा दृढ मत और पक्का अनुभव है कि मंदिर-तीर्थ-यात्रा और पूजा-पाठ  का कोई अर्थ नहीं है , न इससे कोई सफलता /परिणाम हासिल होते हैं ....फिर ? प्रार्थना के साथ प्रयत्न,प्रयास और कर्म यही सफलता देता है ....प्रार्थना भी केवल सद-कर्म करने के लिए और कोई प्रार्थना सुनी ही नहीं जाती ---कर्म का चुनाव सही हो यही मांगना और वही कर्म करना (प्रार्थना के लिए भी , स्थान ,समय ,विधान ,शब्द की  जरूरत नहीं केवल मन से भाव सहित संकल्प और सद-कर्म की याचना . कबीर से बड़ा साधक ,सत्य -अन्वेषी , सत्य वक्ता कौन है ? वे क्या कहते हैं देखें -
'' पाथर पूजे हरि मिले तो मैं पूजूं  पहाड़ '' और तुलसी  , मानस में ? '' कादर मन कंह एक अधारा : दैव दैव आलसी पुकारा '' और  '' कर्म प्रधान विश्व करि राखा : जो जस करै सो तस फल चाखा .''  गाँधी जी भी मेरी बात कहते हैं - '' मैं इश्वर को मानता हूँ  ; मैं मूर्ति-पूजक नहीं हूँ ; पर मूर्ति -पूजा से मेरा कोई विरोध नहीं है .
यह भी समझ  लें ,  खूब ठीक से  1- पूजा प्रार्थना भय की वजह से डरे हुए से  ,2- पाप से बचने के लिए , 3- बिना प्रयास , कर्म किये हुए किसी फल के लिए करते हैं तो संत , महात्मा , योगी , देवता , देवी , यहाँ तक खुद ईश्वर  भी आपकी मदद नहीं कर  सकते न  कुछ दे सकते है ....प्रार्थना पूजा केवल इन उद्येश्यों  से फल देगी .....1 - अच्छे कर्म के लिए प्रेरणा , सद्बुद्धि और शक्ति के लिए और 2 - अच्छे कामों की  सफलता पर  सद्बुद्धि देने के लिए ईश्वर को धन्यवाद देने  , आभार कहने के लिए  3 - दूसरों और सबके कल्याण के लिए ।

Monday, January 16, 2012

ILL-ADVISED WISDOM

कृपया अपनी स्वतंत्र , निष्पक्ष ,बौद्धिक और पूर्वाग्रह से रहित होकर ,  राय दें /कमेन्ट करें /धन्यबाद ...
1 - राहुल जी कहते हैं - '' मैं दलितों के घर जाता हूँ , उनका खाना खाता हूँ ;उनकी फीकी चाय और गंदा पानी पीता हूँ ...पर मायावती ऐसा नहीं करती ''....मेरा कमेन्ट = राहुल जिस घर में जाते हैं .जो खाते हैं ;जो पानी पीते हैं , जहाँ थोड़े समय के लिए बैठते सोते हैं ; उन्ही घरों में मायावती जन्मीं , वही खाना बीसों साल खाया , वही गंदा पानी पीया तो गरीबों /दलितों के बारे में कौन ज्यादा जानेगा ?; पर एक बात का अनुभव राहुल को कैसे हो सकेगा - वह अपमान ,घृणा और संघर्ष जो मायावती ने दलित होने के नाते झेला है ...वह  अनुभव दलितों के झोपडी से नहीं ,दलित होने पर या अत्यधिक संवेदन शील होने पर ही होगा ; यह और बात  है कि अपने संघर्ष , उत्साह , राजनैतिक चतुरता से उन्होंने  सम्पन्नता ,पद और सत्ता प्राप्त कर ली है जो राहुल और उनकी पार्टी के लिए इर्ष्या बन गयी है ;राजा नहीं होते हुए भी  ,उनके लोग , उन्हें राज कुमार ही कहना पसंद करते हैं तो दलितों की रानी होने में कैसा एतराज ? न अब वह 50  साल पुराना भारत है , न वे दलित . क्या दलितों को राहुल मूर्ख समझने की भूल तो नहीं कर रहे हैं .?..अवश्य .
2 - हाथी की मूर्तियों को ढकना ILL - ADVISED WISDOM हास्यास्पद बौद्धिक दिवालियापन ही लगा ; इससे प्रत्यक्ष में मायावती को हानि की वजाय लाभ ही होगा ऐसा मेरा निश्चित मत है .

Sunday, January 15, 2012

THE REAL RENUNCIATION IN BHAGWAT GITA

Renunciation { sanyaas ) as it has been declared in Bhagwat Gita is not to leave your house and family nor the duties of life and its sustaining it but renouncing the desire of results of your actions /deeds . To RENOUNCE THE DESIRE OF RESULTS of all kind of actions performed by you , physical hunger , ALL AND EACH KIND OF achievements , prestige , honour , family all that you have earned should be taken /thought ; earned as a tool in the hands of Lord (Universal -spirit ). In the second way of understanding - it is total loss of the feeling of ' Doer ' in one-self , he performs the deeds but knows that he is not the doer and thus he is not the person , who expects /desire any result . In the third and highest way of understanding it is said - ' detachment '. all the action are being performed as '' duty for duty shake '' (nothing with the desire to loose or gain ). This statement is just and in the same way equal in word and spirit that is well expressed by Immanuel Kant in his world famous theory of ' moral -law '

Friday, January 6, 2012

D BEST U CAN KNOW & ACT UPON .

परम धरम श्रुति विदित अहिंसा : पर निंदा सम अघ न गिरीसा
परहित सरिस धरम नहीं भाई  : पर - पीड़ा सम नहि अधमाई
माता सम देखइ  पर नारी  : धन - पराव  विष ते विष भारी
हरि ब्यापक सर्वत्र , समाना  : प्रेम ते प्रकट होइ मैं जाना  >. मानस में तुलसी
D best religion known in Vedas is - NON-VIOLENCE ; CRITICISE OTHER IS WORST OF SINS,
Helping others is d best religious act &; to harm others is meanest act .
See all other women than your as MOTHER &; look at d property of others as deadliest of poisons.
God is present every where , always , equally distributed &; can be realised by LOVE