Tuesday, November 6, 2012

हकीकत ..

हकीकत .............................
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चलो ए  फ़र्ज़ करते है ,
कि तुम मशरिक़   ; मैं मगरिब
चलो ए मान लेते हैं ।
बहुत लंबा सफ़र है ए
मगर ए भी हकीकत है
तुम्हारी जात का सूरज ;
मेरी हस्ती में डूबेगा ।
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मशरिक़ ; मगरिब = पूरब ;पश्चिम /उदयाचल ; अस्ताचल // जात ,हस्ती = अस्तित्व /जीवन.....
 REALITY - Suppose , u r east n I am west , agreed ; it's a long long journey no doubt ,  bt it's also a reality that yr Sun(rose in east) sets in my existence (west).

{ quoted by Riya}
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 अगर 'चे   दो  किनारों  का  कहीं  संगम  नहीं  होता ,
मगर  एक  साथ  चलना  भी  तो  कोई  कम  नहीं  होता ,
बदन  से  रूह  जाती  है  तो  बिछती  है  सफ्फ -ए-मातम ,
मगर  किरदार  मर   जाए  तो  क्यूँ  मातम  नहीं  होता ?
हज़ारों  ज़ुल्मतों  में  भी , जवान  रहती  है  , लौ  उसकी ,
चराग़े -इश्क  जलता  है  ,  तो  फिर  मद्धम  नहीं  होता ,
वो  आँखें  एक  लुटा  घर  हैं , जहाँ  आंसू  नहीं  रहते ,
वो  दिल  पत्थर  है , जिस  दिल  में  किसी  का  ग़म  नहीं  होता ...!!
- जावेद अख्तर